फोटोग्राफ: रिडिफ़ आर्काइव्स
वीरु देवगन की हस्ती सिर्फ अजय देवगन के पिता और काजोल के ससुर से कहीं ज़्यादा बड़ी थी।
उन्होंने बॉलीवुड के ऐक्शन डायरेक्शन में वही करिश्मा किया है, जो सरोज ख़ान ने कोरियोग्राफी में किया है।
वीरू देवगन के कारण ही ऐक्शन डायरेक्शन को कला के एक रूप में पहचान मिली।
“मैं इस ख़बर को सुन कर बच्चों की तरह बिलख कर रो पड़ा,” ऐक्शन डायरेक्टर श्याम कौशल (विकी और सनी कौशल के पिता) ने कहा, जो अभी कोच्चि में हैं।”
“वो अपने ज़माने से आगे चलने वाले ऐक्शन डायरेक्टर थे और एक बहुत ही अच्छे इंसान थे। उन्होंने सत्तर के दशक के बीच से नब्बे के दशक तक ऐक्शन फिल्मों पर राज किया है।”
“निजी तौर पर बात करें, तो मैं आज जो कुछ भी हूं, उन्हीं के आशीर्वाद से हूं। उन्होंने अगस्त 1980 में मेरे ऐप्लिकेशन फॉर्म पर साइन किया और मैं स्टंटमैन बन गया। उन्होंने मुझे अपनी टीम का हिस्सा बनाया।”
“बतौर स्टंटमैन, बतौर स्टंट डबल मेरी पहली शूट, और मेरी पहली आउटडोर शूट उनके ही साथ हुई थी।”
“जब मेरे पास खाने के लिये कुछ नहीं था, तब उन्होंने मुझे अपने घर पर खाना खिलाया है।”
“मैं हमेशा उनका कर्ज़दार रहूंगा,” उन्होंने आगे कहा।
देवगन ने हमारे मुख्य किरदारों के लिये सबसे रोमांचक और साहसी ऐक्शन पीस कम्पोज़ किये थे।
“वो एक महान ऐक्शन डायरेक्टर थे,” शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा।
“मैंने क्रांति और दोस्ताना जैसी मेरी कुछ सबसे बड़ी हिट्स में उनके साथ काम किया है। क्रांति में तो उनका एक रोल भी था।
“उन्होंने हमें जीते-जागते रूप में पर्दे पर उतारा। वीरूजी की कम्पोज़ की हुई लड़ाइयाँ असली लगती थीं।”
“जैसे हर हिरोइन चाहती थी कि लता मंगेशकर उसके लिये गायें और सरोज ख़ान उसके लिये कोरियोग्राफ करें, वैसे ही मेरे समय का हर हीरो चाहता था कि वीरूजी ही उसकी फाइट्स कम्पोज़ करें और उसे असली हीरो बनायें।”
वीरू देवगन ने अमिताभ बच्चन के साथ सबसे ज़्यादा फिल्में की हैं।
उन्होंने अमिताभ बच्चन की देश प्रेमी (1982) के साथ बतौर ऐक्शन डायरेक्टर अपना करियर शुरू किया। इसके बाद उन्होंने लाल बादशाह, शहंशाह, आखिरी रास्ता, इंकलाब, ख़ून पसीना और दो और दो पाँच के साथ कई और फिल्मों में साथ काम किया।
1999 में जब वीरू देवगन डायरेक्टर बने, तब अमिताभ ने उनकी फिल्म हिंदुस्तान की कसम में एक लंबा कैमियो भी किया।
बच्चन परिवार हमेशा से ही देवगन परिवार का करीबी दोस्त रहा है।
“अभी मेरे पास कहने के लिये कोई शब्द नहीं हैं। वो एक दोस्त और सहकर्मी थे,” अमिताभ बच्चन ने दुःखी होकर कहा।
“बतौर डायरेक्टर उनकी पेशकश का हिस्सा होना मेरे लिये सम्मान की बात है,” उन्होंने आगे कहा।
राकेश रोशन बेहद दुःखी दिखाई दिये।
“वीरू के बारे में सुनकर बहुत दुःख हुआ, मैं जब मुख्य किरदार निभाता था, तभी से ही वो मेरे करीबी दोस्त थे। स्टंट के लिये वो मेरे बॉडी डबल हुआ करते थे।”
“जब ख़ुदग़र्ज में मैं प्रोड्यूसर-डायरेक्टर बना, तो उन्होंने ही फाइट्स कम्पोज़ की।”
“हम एक दूसरे को अच्छी तरह समझते थे, और एक तरह से हम एक दूसरे के सबसे अच्छे दोस्त थे। वो बहुत ही प्यारे इंसान और महान टेक्नीशियन थे। उनके परिवार के साथ मेरी सहानुभूति है।”
फोटोग्राफ: प्रदीप बांदेकर
अंतिम संस्कार के लिये आये बोनी कपूर ने कहा, “वो एक फाइटर, स्टंट मैन और ऐक्शन डायरेक्टर थे, यानि कि हर मुश्किल चीज़ उनके बायें हाथ का खेल थी। लेकिन उनका दिल बहुत ही नाज़ुक था।”
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